दीदी को ट्रैन में चोदा
हल्लो दोस्तों मेरा नाम सौरभ शुक्ला हैं और मैं रायगढ का रहनेवाला हूँ. मैं एक शादीसुदा इन्सान हूँ और मेरी उम्र 27 साल हैं. मैं स्टील की इंडस्ट्री में काम करता हूँ. यहाँ पर सब स्टोरीस पढने के बाद मेरा भी मन हुआ की मैं अपनी स्टोरी बताऊँ. यह कहानी मेरी और मेरी बहन की हैं. उसकी उम्र अभी 25 साल हैं. उसका नाम मीता हैं और वो एक हाउसवाइफ हैं. लेकिन यह कहानी अभी की नहीं 6 साल पहले की हैं जब वो 19 की और मैं 21 का था. आयें मैं आप को बताऊँ कैसे मैंने अपनी बहन को चोदा था.
मीता का बिल्ड ऐसा था उस वक्त की वो 19 की लगती ही नहीं थी. मैं हमेशा उसके बदन को टच करने की कोशिश करता रहता था. मुझे इसमें बहुत ही मजा आता था. कभी कभी मस्ती में मैं उसे जांघ पर भी टच कर लेता था और तब वो हंस पड़ती थी. तब मेरे एक दोस्त ने मुझे एक किताब पढने के लिए दी जिसमे बहुत नंगी फोटो थी. मेरा लंड उस दिन से जैसे चूत का प्यासा हो गया था और बहन की चूत को मैं पाने की कोशिश में लग गया.
मीता का भारी बदन अब मुझे और भी टाईट कर रहा था पेंट के अंदर ही अंदर. मैं रोज सोने से पहले रजाई के अंदर उसके बूब्स और चूत को याद कर के मुठ मार लेता था. मीता और मैं साथ में पढाई करते और क्यूंकि मैं बड़ा था इसलिए वो मुझे डाउट पूछती थी. मैं उसकी गलती होने पर उसकी गांड पर चिकोटी भर लेता था. मैं कभी कभी उसकी जांघ पर भी हाथ रख देता. सच कहूँ तो मुझे मौके की तलाश थी जो मुझे मिल नहीं रहा था.
एक रात को मैं मुठ मार के सोया और करीब डेढ़ बजे मेरी आँख खुल गई. मेरा लंड एकदम टाईट हुआ था और मुझे मीता की बड़ी याद आने लगी. पहले मैंने सोचा की लंड हिला के so जाता हूँ. लेकिन फिर मैंने सोचा की चलो देखूं तो मीता कैसे सोई हैं. अक्सर मैं उसे सोई हुई देख कर भी उतेजित होता था. कभी काभी उसकी नाईट टी-शर्ट उपर होती थी तो उसकी स्लिप या ब्रा देखने को मिल जाती थी. मीता के बेड की और गया और वही रुक गया मैं. आज भी मीता की शर्ट हलकी ऊपर थी और उसका पेट और नाभि का भाग दिख रहा था. मैंने देखा की मोम और डेड गहरी नींद में हैं. मेरा लंड बड़ा ही टाईट था और उसका ज्यूस निकाले बिना मुझे नींद तो आनी ही नहीं थी. मैंने एक पल सोचा और मैं अपना लंड निकाल के हिलाने लगा. मैंने ज़िप से सिर्फ लंड बहार निकाला था जिस से कोई हीले तो मैं फट से उसे अंदर रख सकूं, मीता के पेट को देख के मन ही मन में मैं उसके चूत की आकृति बना रहा था.
मीता का बदन मेरी गर्मी बढ़ा चूका था और खून जैसे लंड की और आ गया था. मैंने लंड को और भी जोर से हिलाना चालू किया और तभी मीता की आँख खुली. उसके सामने मैं लंड हिला रहा था और उसने मुझे देख लिया. को-इन्सीडंस यह भी हुआ की मेरा लंड उसी समय झड़ गया और उसका रस पेंट पर गिरा. स्खलन होने के बाद मुझे बुरा लगा. मीता कुछ बोली नहीं वो सिर्फ मेरे लंड को देखती रही. मैं शर्म के मारे बेड में आके so गया. उस दिन से मैं थोडा सहमा सा रहता था. मीता के बदलाव में कोई फर्क नहीं आया था, लेकिन मुझे शर्म सी लगी रहती थी. और इस शर्म को दूर करने में मुझे और दो महीने लग गए. अब मैं नार्मल हो गया. लेकिन मीता के लिए मेरी हवस और भी बढ़ चुकी थी. मैं उसकी गांड और बूब्स को देख के बड़ा खुश होता था. मैं यह भी गौर किया की मीता खुद अब मुझे अपने स्कर्ट के अंदर देखने के लिए चांस देती थी. जैसे की मैं निचे बैठा हूँ और वो पंखे के पास खड़ी हो जाती. हवा में उडती स्कर्ट में उसकी पेंटी भी एक दो बार मुझे दिख गई थी. लेकिन मैं पता नहीं क्यूँ अब हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.
इस बिच मेरा मुठ मारना तो जारी ही था. मैं मीता को याद कर कर के मुठ बाथरूम में निकाल देता था. अब डेड ने हम दोनों की शादी तय कर दी. मीता की शादी ग्वालियर में ही नितिन के साथ और मेरी शादी हमारे मोहल्ले की रानी के साथ तय हुई. हम दोनों अब ब्याह चुके थे. मेरी बीवी रानी मुझे बहुत प्यार करती हैं और उसकी वजह से मैं अब मीता को उतना याद नहीं करता था. फिर भी अक्सर मैं नींद में उसे याद लेता था स्वप्न के स्वरूप में और फिर 2-3 दिन तक वो मेरे ख्यालों में रहती थी. नितिन जीजू का कोटन का बिजनेश हैं और उसके लिए वो अक्सर कोलकाता और बनारस जाते थे. वो लूम्स को यार्न सप्लाय करते हैं. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
एक दिन मेरे पिता ने मुझे कहा की मीता को ले आओ ग्वालियर से नितिन कुमार को कोलकाता ज्यादा ठहरना हैं. दरअसल इस से पहले भी जीजू जाते थे बहार लम्बे अरसे के लिए. लेकिन इस बार उनके मोम-डेड कही गए थे और मीता अकेली पड़ रही थी घर इसलिए उसे लाना था. डेड ने एन मौके पर बताया इसलिए मैं टिकिट बुक नहीं कर पाया. बड़ी लम्बी वेटिंग लिस्ट थी. जाने के समय मुझे तत्काल मिला इसलिए मैंने सोचा की वापसी में भी तत्काल ही ले लूँगा.
अब इसे किस्मत कहें या संजोग, आने के वक्त एक ही बर्थ मिल पाई स्लीपर के अंदर. और वो भी साइड अपर. एक बर्थ में दो लोगों का सोना तो मुश्किल था. मैंने अपनी वेटिंग टिकट ले लिए. से शर्दी के दिन थे. मीता और मैं ग्वालियर से शाम में निकले. रात होते ही मैंने उसे कहा की तुम, सो जाओ मैं इधर उधर सो लूँगा कही.
मीता नहीं मानी और उसने मुझे भी जिद कर के ऊपर बुला लिया. रजाई निकाल के उसने हम दोनों को ढंक लिया. वो दिवार वाली साइड में सोई थी और मेरा फेस उसकी उलटी दिशा में था. मेरी सांसे तेज थी, बहुत समय के बाद मैं उसके इतने करीब आया था. ट्रेन की छुक छुक के बिच में कब नींद आई पता ही नहीं चला.
रात को मेरी नींद तब खुली जब मैंने अपनी जांघ पर कुछ महसूस किया. आँख आधी खोल के देखा तो मन चौंक गया. पता नहीं नींद में मैंने कब करवट बदली थी, और मीता की करवट भी बदली हुई थी. हम दोनों के मुहं आमने सामने थे. या यु कह लो की उसकी चूत के सामने मेरा लंड था बस दो चार इंच की दुरी पर. मीता का हाथ मेरी जांघ पर आया था जिसकी वजह से मेरी नींद खुल गई थी. लेकिन फिर भी मैं सोने की एक्टिंग करता रहा. मीता धीरे धीरे अपने हाथ को मेरे लंड की और बढ़ा रही थी. मैं सोने की एक्टिंग करता रहा और उसका हाथ मेरे लंड तक पहुँच गया. वो उसे दबा रही थी और छूकर खुद को खुश कर रही थी. वो बिच बिच में मेरे मुहं की और देखती थी लेकिन मैं सोने की ही एक्टिंग में था. मेरी आँख थोड़ी खुली थी जिस से मैं उसके चहरे को देख सकता था. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर मैंने सोचा की यह लेना चाहती हैं फिर मैं क्यूँ रुकूँ. इतना सोच के मैंने अपनी आँखे खोल दी. मीता और मैं एक दुसरे को देखने लगे. वो निचे देखने लगी आँख मिलाने के बाद. लेकिन उसने लंड नहीं छोड़ा हाथ से. मैंने भी रजाई के अंदर ही हाथ लम्बा कर के अपनी ज़िप खोल दी. मीता हंस पड़ी धीरे से और उसके हाथ अंदर टटोलने लगा. उसने लंड को अंडरवेर से बहार निकाला और उसे हाथ से दबाने लगी. मेरा लंड अब टाईट हो गया था और गरम थी. मैंने भी अपने हाथ से मीता के बूब्स दबाये और उसकी निपल्स को रगड़ने लगा. मीता खुश लग रही थी मेरे स्पर्श करने से. अब वो मेरे लंड को ऐसे हिला रही थी जैसे मुठ मार रही हो. वो सुपाडे तक मुठ्ठी ले आती थी और फिर उसे लंड की तह तक ले जाती थी. मेरा बदन शर्दी के इस मौसम में भी तप चूका था. अब मैं थोडा आगे गया और अपने हाथ से मीता के पेट को छूने लगा. उसकी ब्लाउज और पेटीकोट के ऊपर भी हाथ घुमाया मैंने. मीता ने अब मेरा हाथ पकड के अपनी चूत पर रख दिया. मीता की चूत गीली हो चुकी थी और उसकी पेंटी के ऊपर से भी मैं यह महसूस कर सकता था. मीता अब लंड को बड़े मजे से हिला रही थी और बिच बिच में उसकी सिसकी भी निकल जाती थी. दीदी को ट्रैन में चोदा
मैं अब उसकी चूत में अपना लंड देना चाहता था. मीता भी शायद यह बात समझ गई और उसने करवट बदल ली. उसकी गांड मेरे सामने थी. उसने अब अपनी साडी को ऊपर किया और साथ में पेटीकोट भी ऊँचा कर दिया. मैंने उसकी पेंटी को निचे सरका दिया उसकी गांड पर से. हम दोनों रजाई में थे और ठंडी की वजह से सभी पेसेंजर सोये हुए थे. मीता ने हाथ पीछे कर के मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे चूत की और खींचने लगी. मैंने पीछे मुड़ के एकबार देख लिया की कोई जाग तो नहीं रहा हैं. सब चद्दर रजाई तान के सोये थे. मैंने मीता की चूत पर थोडा थूंक मला पीछे से ही और लंड को छेद पर सेट किया. यह पोजीशन में सेक्स मुश्किल था उसके साथ लेकिन इसके अलावा कोई और पोजीशन हम बना भी नहीं सकते थे. मीता की चूत में आधा लंड घुसा और उसकी आह निकली. मैंने एक धक्का और दिया लेकिन 70% से ज्यादा लंड अंदर जाना ही नहीं था. उसकी गांड बड़ी थी और मेरा पेट इसलिए सेटिंग नहीं हो पा रहा था. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं अब अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. 35% लंड अंदर से बहार होता रहा और चुदाई का आधा अधुरा ही सही लेकिन ज़बरदस्त मजा आता रहा. मीता को चोदना मेरी लाइफ लॉन्ग फेंटसी थी जिसे आज मैं एक अलग ही जगह पर पूरा कर रहा था. मीता हिल नहीं रही थी लेकिन ट्रेन के धक्को की वजह से मेरा लंड सपोर्ट पा रहा था.
हम ऐसे ही धीरे धीरे झटको का मजा लेते रहे. बिच में एक स्टेशन आया तब भी मेरा लंड उसकी चूत में ही था. मैंने सिर्फ हिलना बंध कर दिया था ताकि कोई शक ना करें. ट्रेन के चलने के बाद मैं फिर से उसे चोदने लगा.
मीता की यह चुदाई बहुत लम्बी चली क्यूंकि ट्रेन में मैं ज्यदा जोर नहीं लगा पा रहा था. पुरे सवा घंटे के बाद जब मेरा माल निकला तो मीता ने चूत को टाईट कर के उसे अपनी चूत में समेट लिया. फिर हम दोनों ही कपडे ठीक कर के सो गए.
सुबह मीता ने ही मुझे उठाया. हमने ब्रश कर के चाय पी. मीता ने मुझे पूछा, रात को नींद कैसे आई.
मैंने हंस के कहा, बड़ी मस्त, बड़े अरसे के बाद सुकून से सोया.
मीता हंस के बोली, मैं भी….!
फिर हम लोग घर आ गए. लेकिन इस ट्रेन की यात्रा ने मेरे लिए एक रास्ता खोल दिया था बहन की चुदाई का. मीता और मैं उस दिन के बाद से करीब आ गए. मैं अक्सर उसके ससुराल जाके वही ग्वालियर में रात रुकता हूँ. वो किसी ना किसी बहाने मेरे कमरे में आकर झटपट वाली चुदाई करवा लेती हैं. और अब वो मइके भी ज्यादा आने लगी हैं. और यहाँ हो तो फिर तो उसे चोदने का प्लान आसानी से बन जाता हैं.
दोस्तों, ऐसे मैंने अपनी बहन को चोदा था. आप लोगों को दीदी को ट्रैन में चोदा कहानी कैसी लगी. यह घटना मेरे जीवन की सत्य घटना आधारित हैं
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